Reciprocal cross (व्युत्क्रम संकरण )
 मेण्डल ने लंबे जनक (TT) से एकत्रित किये हुए परागकणों को बौने जनक (tt) के अण्डाशय की वर्तिकाग्र तथा बौने जनक (tt) के परागकणों को लंबे जनक (TT) के अण्डाशय की वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित कर कृत्रिम पर-परागण किया । इस प्रकार के क्रॉस को व्युत्क्रम संकरण (Reciprocal cross) कहते है ।
मेण्डल ने लंबे जनक (TT) से एकत्रित किये हुए परागकणों को बौने जनक (tt) के अण्डाशय की वर्तिकाग्र तथा बौने जनक (tt) के परागकणों को लंबे जनक (TT) के अण्डाशय की वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित कर कृत्रिम पर-परागण किया । इस प्रकार के क्रॉस को व्युत्क्रम संकरण (Reciprocal cross) कहते है ।
मेण्डल ने इस संकरण से प्राप्त बीजों को भूमि में बोकर, प्रथम संतति पीढ़ी प्राप्त की । इस प्रथम पीढ़ी को प्रथम संतानीय पीढ़ी (First Filial Generation) या  F1 पीढ़ी कहते है ।
दो विकल्पी या एलील लम्बे व बौने का परस्पर क्रॉस करने पर  F1 पीढ़ी में सभी संतति लम्बी प्राप्त हुई ।
मेण्डल के समक्ष इस समस्या को हल करने के लिए दो ही विकल्प थे -
(i) विकल्पी बौनापन F1 पीढ़ी में उपस्थित ही नहीं था ।
(ii) बौनेपन का कारक F1पीढ़ी में स्थानान्तरित तो हुआ,  लेकिन संतति में यह किन्ही कारणों से अभिव्यक्त (express) ही नहीं हो पाया ।
मेण्डल ने यह ज्ञात करने के लिए इस प्रयोग को आगे बढ़ाया, उन्होंने F1 पीढ़ी की संकर संतति को परस्पर परागित कर बीज  प्राप्त किये और उनको भूमि में बोकर द्वितीय संतानीय पीढ़ी या F2 प्राप्त कर ली  और देखा कि इस पीढ़ी में दोनों (लम्बे व बौने) लक्षण वाले पादप प्राप्त हुए ।
मेण्डल के इस प्रयोग से यह प्रमाणित हो गया कि किसी लक्षण के दो विकल्पी (लम्बे व बौने) को क्रॉस करवाने पर, दोनों में से वह विकल्पी (लम्बा) जो अधिक  प्रभावी होता है वो F1 पीढ़ी में अभिव्यक्त होता है । दूसरा विकल्पी (बौनापन) प्रभावी न होने के कारण अभिव्यक्त नहीं हो पाता है। इस विकल्पी को अप्रभावी (Recessive) कहते है । अप्रभावी विकल्पी (बौनापन) F1 पीढ़ी में उपस्तिथ तो था, लेकिन प्रभावी विकल्पी (लम्बेपन) की उपस्थिति के कारण F1 पीढ़ी में अभिव्यक्त नहीं हुआ।
मेण्डल ने यह भी देखा कि F2 पीढ़ी में प्रभावी (लंबापन) व अप्रभावी (बौनापन) गुणों वाली संतति एक निर्धारित अनुपात 3:1 में प्राप्त होती है क्योंकि 3 लम्बे : 1 बौना अनुपात एक ही लक्षण परिमाप के दो विकल्पियों का हैं जो कि F2 पीढ़ी में अभिव्यक्त होने से दिखायी देते हैं  अतः इस अनुपात को लक्षण प्ररूपी अनुपात (Phenotypic ratio) कहते हैं।
मेण्डल ने प्रयोग में सर्वप्रथम स्वपरागण एवं अंतःप्रजनन कर, यह सुनिश्चित कर लिया कि प्रजनन के लिए चयनित पादप विकल्पी गुणों के लिए शुद्ध है।
Example :- गुलाबी रंग के पादपों में स्वपरागण एवं अंतःप्रजनन द्वारा प्राप्त बीजों को पीढ़ी दर पीढ़ी बोने पर सदैव गुलाबी पुष्प वाली संतति ही प्राप्त हो तो ऐसे पादप को पुष्प रंग के गुलाबी विकल्पी के लिए शुद्ध प्रजननी कहा जाता है।
शुद्ध प्रजननी(True Breeding)
मेण्डल ने प्रयोग में सर्वप्रथम स्वपरागण एवं अंतःप्रजनन कर, यह सुनिश्चित कर लिया कि प्रजनन के लिए चयनित पादप विकल्पी गुणों के लिए शुद्ध है।
Example :- गुलाबी रंग के पादपों में स्वपरागण एवं अंतःप्रजनन द्वारा प्राप्त बीजों को पीढ़ी दर पीढ़ी बोने पर सदैव गुलाबी पुष्प वाली संतति ही प्राप्त हो तो ऐसे पादप को पुष्प रंग के गुलाबी विकल्पी के लिए शुद्ध प्रजननी कहा जाता है।
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