t-RNA की संरचना :-
t-RNA का निर्माण 80s प्रकार के राइबोसोम की बड़ी उपइकाई 60s प्रकार के राइबोसोम के अणु से होती है | यह RNA अणु स्वतंत्र रूप से कोशिकाद्रव्य में रहते है तथा वहां उपस्थित अमीनो अम्ल के अणुओं को अपने साथ जोड़कर m-RNA की उपस्थिति में पोलीपेप्टाइड श्रृंखला के निर्माण में भाग लेते है | t-RNA में न्यूक्लियोटाइडो की संख्या 70 से 90 तक हो सकती है |
t-RNA की न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला तीन निश्चित स्थलों पर अधिवलित होकर दो पार्श्वीय एवं एक केन्द्रीय द्विरज्जुकीय कुंडलित रचना को विकसित करती है | जबकि शेष स्थलों पर यह RNA श्रृंखला एक रज्जुकी होती है |
कुंडलित स्थानों पर t-RNA श्रृंखला अपने ऊपर कुछ इस प्रकार से अधिवलित होती है कि इसके 3' सिरे व 5' सिरे एक- दूसरे के नजदीक आ जाते है | पोलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला के 3' सिरे पर CCA नाइट्रोजनी क्षार क्रम पाया जाता है | जहाँ पर इससे सक्रिय एमिनो अम्ल संलग्न होते है | इसी प्रकार 5' सिरे पर ग्वानिन क्षार उपस्थित होती है |
t-RNA की प्रत्येक कुंडली में क्षार एक विशिष्ट क्रम में उपस्थित होते हैं और इनकी केंद्रीय भुजा पर तीन नाइट्रोजन क्षार प्रतिकोडोन का निर्माण करते है जो m-RNA पर कोडोन को चिह्नित करते है ।द्विविमीय संरचना में यह क्लोवर लीफ़ (तिपतिया पत्ती) के समान दिखाई देते है एवँ त्रिविमीय संरचना में यह अंग्रेजी के बड़े अक्षर 'L' के समान होता है ।

क्लोवर लीफ़ सदृश्य RNA के प्रत्येक t-RNA अणु में चार विशिष्ट स्थल उपस्थित होते है -
(i) एमिनो अम्ल संलग्न स्थल
(ii) पहचान स्थल
(iii) प्रतिकोडोन पहचान स्थल
(iv) राइबोसोम चिह्नीकरण स्थल
t-RNA में सामान्य क्षारों के अतिरिक्त अन्य असामान्य क्षारें भी उपस्थित होती है ।
Eg. मिथाइल एमिनो अम्ल
t-RNA एक अनुकूलक अणु (अमीनो अम्ल वाहक अणु) सर्वप्रथम यह m-RNA पर उपस्थित कोडोन के अनुसार अमीनो अम्ल का चयन कर इससे संलग्नित होता है । इस t-RNA को m-RNA पर स्थित कोडोन एवँ m-RNA किस राइबोसोम पर जुड़ता है, इन दोनों को पहचानता है और इसका अंतिम कार्य उपयुक्त एंजाइम पेप्टिडाइल सिंथेटेज द्वारा उत्प्रेरित पेप्टाइड बंधों को बनाकर प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करता है ।
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80s प्रकार के
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