Biotic Factor (जैविक कारक)
जैविक घटक में सजीव जगत को सम्मलित किया जाता हैं । जीवों में विभिन्न अन्योन्य क्रियाएँ होती हैं । परिणामतः जीवों के जीवन परस्पर प्रभावित होते है। अजैविक घटक भी जीवों को प्रभावित करते हैं। पृथ्वी के सभी क्षेत्रों में विभिन्न जीव एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे के जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते है । जीवन की कई क्रियाओं जैसे - वृद्धि, पोषण, जनन आदि में एक ही जाती के सदस्यों के मध्य अथवा विभिन्न जातियों के सदस्यों के मध्य अन्योन्य क्रियाएं मिलती हैं। परागण, फल, प्रकीर्णन, चरागाह में चराई, परजीविता एवं सहजीवन आदि परस्पर अन्योन्य क्रियाओं के उपयुक्त उदहारण हैं । वर्तमान में मानव का वनस्पतियों व प्राणियों पर सबसे अधिक प्रभाव दिखाई देता हैं।
प्रकृति में प्राणियों, पादपों के मध्य एवं पादपों व प्राणियों के मध्य परस्पर निर्भरता पाई जाती है। जीव जातियों में यह पारस्परिक सम्बन्ध दोनों के लिए लाभदायक या दोनों के लिए हानिकारक या दोनों में से किसी एक के लिए लाभप्रद व दूसरे के लिए हानिकर अथवा एक के लिए लाभप्रद या हानिप्रद और दूसरा लाभ व हानि के प्रति अप्रभावी हो सकता है।
ओडम (odum 1971) ने जीवों के सहजीवन में पाए जाने वाले सभी सम्बन्धों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया -
(1) धनात्मक अन्योन्य क्रियाएँ (2) ऋणात्मक अन्योन्य क्रियाएँ
(1) धनात्मक अन्योन्य क्रियाएँ (Positive Reaction)
इन क्रियाओं में एक साथ रह रही जातियों की आबादी दे सदस्यों के पारस्परिक सम्बन्ध, एक-दूसरे को लाभ पँहुचाते हैं। यह पारस्परिक लाभ खाद्य, आश्रय, आधार या अवलम्ब आदि के सन्दर्भ में हो सकता हैं। ऐसा सम्बन्ध स्थायी अथवा अनिवार्य या वैकल्पिक हो सकता हैं।
(i) सहोपकारिता (Mutualism) :- यह परस्पर लाभप्रद अन्तरजातीय(interspecific) अन्योन्य क्रियाएँ हो सकती हैं।यह प्रायः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पायी जाती हैं। ऐसे साहचर्य में प्रायः अंतरंग स्थायी व अनिवार्य (अविकल्पी) संपर्क बना रहता हैं। इस संपर्क के आभाव में दोनों का जीवित रहना संभव नहीं हो पाता है। दोनों आबादियों में परस्पर किसी न किसी प्रकार का कार्यकीय विनिमय (physiological exachange) होता है। सहोपकारिता के कुछ उपयुक्त उदहारण निम्नलिखित हैं -
(a) प्राणी परागण :- मधुमक्खियाँ, मॉथ, तितलियाँ आदि पुष्पों पर अपने भोजन मकरन्द को प्राप्त करने जाते हैं, साथ ही इनके द्वारा परागण भी हो जाता हैं।
(b) फल व बीज प्रकीर्णन :- सामान्यता फल व बीजों का प्रकीर्णन प्राणियों द्वारा होता हैं। पक्षियों व स्तनियों द्वारा लाये गए फलों व बीजों को उनकी बींट,मींगनी व गोबर के साथ उत्सर्जित हो कर दूर-दूर तक पँहुच जाते हैं।
(c) शैवाक (lichens) :- यह अंतरंग स्थायी व अविकल्पी साहचर्य का अद्भूत उदहारण हैं। लाइकेन का पादप शरीर आवरण कवक का बनता हैं और कवक जाल द्वारा परिबद्ध व जाल में अंतःस्थापित शैवाल कोशिकाएँ होती हैं। कवक शैवाल को नमी व घुलित खनिज लवण उपलब्ध कराता हैं जिससे शैवाल खाद्य संश्लेषण करता है जो कवक को भी उपलब्ध रहता हैं। लाइकेन शरीर को बनाने वाली कवक व शैवाल पृथक रूप स्वतंत्रतापूर्वक जीवन यापन में असमर्थ हैं।
(d) सहजीवी नाइट्रोजन यौगिकीकर (Symbiotic nitrogen fixer) :- यह भी सहोपकारिता का उपयुक्त उदहारण हैं।लेग्यूम पादपों की जड़ों में जीवाणु राइजोबियम, संख्या में वृद्धि कर, जड़ में फूली हुई ग्रंथिकाएँ बनाती हैं। ये अपना पोषण लेग्यूम पादप से करते हैं और वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट के यौगिकों में परिवर्तित कर, लेग्यूम को उपलब्ध कराते हैं।
(e) कवकमूल (Mycorhhiza) :- कुछ पादपों में मूल में या मूल के शीर्ष के चारों और कवक का सघन जाल होता हैं। चीड़, ओकल, हिकोरी आदि में बाह्यपोषी व लालमपेल, ऑर्किड व ऐरिकेसी के कई सदस्यों में अन्तःपोषी कवकमूल मिलते हैं।
बाह्यपोषी कवकमूल में कवक जाल, मूल शीर्ष के मूल रोमों को प्रतिस्थापित कर, मूल रोम का कार्य - खनिज व जल अवशोषण कर, पादप को देता हैं।
अंतःपेशी कवक मूल, मूल उत्तक में मिले होते हैं। प्रायः कवक मूल उन पौधों में मिलते हैं जो अम्लीय मृदा में उगते हैं।
(f) जूक्लोरेली व ज़ूजेन्थेली (Zoochlorelle and Zooxanthelle) :- स्पंजों, सीलेन्ट्रेटों, मोलस्कों एवं कृमियों में, बाह्य ऊतकों में, एककोशिक जूक्लोरेली सहजीवी हैं। इसी प्रकार इन प्राणियों में बाह्य ऊतकों में फ्लेजिलेट प्राणी -ज़ूजेन्थेली सहजीवी पाया जाता हैं। प्रकाश संश्लेषी जूक्लोरेली, नाइट्रोजनी यौगिकों को परपोषी को उपलब्ध कराता हैं और [परपोषी के उपापचय में बने व मुक्त हुए पदार्थों का उपयोग शैवाल करता हैं। एक अन्य उदहारण में एककोशिक शैवाल क्लोरेला वल्गेरिस, हाइड्रा प्राणी की जठरचर्म (gastrodermal) कोशिकाओं में सहजीवी होता हैं। प्रकाश संश्लेषण द्वारा शैवाल, हाइड्रा को ऑक्सीजन व खाद्य देता हैं। हाइड्रा, शैवाल के पोषण हेतु उत्सर्जनी-नाइट्रोजन अपशिष्ट व CO2 उपलब्ध कराता हैं।
Nice information
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