7. आनुवंशिक कूट (Genetic code)

 आनुवंशिक कूट :-
प्रतिकृति एवं अनुलेखन के दौरान एक न्यूक्लिक अम्ल से दूसरे न्यूक्लिक अम्ल का प्रतिलिपिकरण होता है | कोशिका में पाए जाने वाले विभिन्न प्रोटीन अमीनो अम्लों के द्वारा बनती है | प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया में अमीनो अम्ल की जमावट का निश्चित क्रम m-RNA पर उपस्थित चार नाइट्रोजनी क्षारों के क्रम पर निर्भर करता है जो स्वयं DNA के क्षारों के क्रम पर आश्रित रहता है |
m-RNA के चार क्षारों एवं 20 अमीनो अम्लों के बीच आनुवंशिक सूचनाओं के संचरण को ही आनुवंशिक कूट कहते है |
आनुवंशिक कूट की प्रकृति :-
केवल चार जैव रासायनिक अक्षरों UCAG के एकल शब्द 20 अमीनो अम्लों के लिए आनुवांशिक कूट नहीं बना सकते है |
द्वि शब्द केवल 16 (4*4) अमीनो अम्लों के कोडोन बना सकते है जो अपर्याप्त है |
ज़ोर्ज गैमो एक भौतिकविद् थे जिनका विचार था कि यदि क्षार केवल चार है तो इन 20 अमीनो अम्लों का कूटलेखन किस रूप से होता है | अतः कूट के निर्माण में क्षारों का समूह बनता है | इनका विचार था कि सभी 20 अमीनो अम्लों के कूट हेतु कोड तीन न्यूक्लियोटाइड के बने होते है | त्रिअक्षरीय कूट 64 (4*4*4) कोडोन बनाते है |
तीन न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम को कोडोन कहते है | ये 20 अमीनो अम्लों के लिए पर्याप्त है | अतः आनुवंशिक कूट त्रिक होते है |
आनुवंशिक कूट के बारे में जानकारी निरेनबर्ग ने दी थी |
प्रमाण :-
डॉ. हरगोविन्द खुराना ने निश्चित क्षारों के समुच्चय युक्त RNA के अणुओं के संश्लेषण की रासायनिक विधि का विकास किया |
प्रोटीन संश्लेषण हेतु निरेनबर्ग के कोशिका स्वतंत्र सिद्धांत ने कूट को समझाने के लिए महत्वपूर्ण रहा |
सेबवेटो ओकोआ एंजाइम (पोलीन्यूक्लियोटाइड फॉस्फ़ोराइलेज) RNA को स्वतंत्र (RNA एंजाइम संश्लेषण) से टेम्पलेट रज्जुक के निश्चित अनुक्रमों के साथ बहुलकित होने में सहायता प्रदान करते है |
कूट संरचना :-
द्वितीय पंक्ति
प्रथम पंक्ति 
U
C
A
G
तृतीय पंक्ति
U
UUU Phe
UUC Phe
UUA Leu
UUG Leu
UCU Ser
UCC Ser
UCA Ser
UCG Ser
UAU Tyr
UAC Tyr
UAA Stop
UAG Stop
UGU Cys
UGC Cys
UGA Stop
UGG Trp
U
C
A
G
C
CUU Leu
CUC Leu
CUA Leu
CUG Leu
CCU Pro
CCC Pro
CCA Pro
CCG Pro
CAU His
CAC His
CAA Gin
CAG Gin
CGU Arg
CGC Arg
CGA Arg
CGG Arg
U
C
A
G
A
AUU Ile
AUC Ile
AUA Ile
AUG Met
ACU Thr
ACC Thr
ACA Thr
ACG Thr
AAU Asn
AAC Asn
AAA Lys
AAG Lys
AGU Ser
AGC Ser
AGA Arg
AGG Arg
U
C
A
G
GUU Val
GUC Val
GUA Val
GUG Val
GCU Ala
GCC Ala
GCA Ala
GCG Ala
GAU Asp
GAC Asp
GAA Glu
GAG Glu
GUG Gly
GUC Gly
GUA Gly
GUG Gly
U
C
A
G


आनुवंशिक कूट की विशेषताएँ :-
आनुवंशिक की महत्ता वर्तमान में सर्वविदित है, इनकी महत्ता के आधार पर इन्हें ज्ञात किया जाकर, इन पर शोध हुए | शोध के परिणामस्वरूप ही आनुवंशिक कूट के निम्नांकित प्रमुख गुण ज्ञात किये गये -

(i) कूट त्रिक होते है :- एकल या द्विक कूट 20 अमीनो अम्लों को कोडित करने के लिए पर्याप्त नही होते है | अतः प्रायोगिक तौर पर निष्कर्ष निकाला की, इसके लिए कम से कम त्रिक कूट का होना आवश्यक है | जो 20 अमीनो अम्लों का कूट लेखन करने के लिए 61 कूट होते है व तीन कूट किसी अमीनो अम्ल का कूट लेखन नहीं करते है |
(ii) आनुवंशिक कूट अपह्रासित होते है :-प्रतयेक अमीनो अम्ल के लिए एक से अधिक कोडोन संभव है |
Eg. Phe के लिए दो कोडोन एवं Arg के लिए 6 कोडोन
(iii) आनुवंशिक कूट सार्वत्रिक होते है :- DNA के कोडोन एवं RNA के प्रतिकोडोन सदैव प्रोकैरियोट, यूकैरियोट एवं विषाणुओं में एक त्रिक कोडोन समस्त जीवों में एक निश्चित अमीनो अम्ल का कूटलेखन करता है |
Eg . जीवाणुओं से लेकर मनुष्य में UUU, Phe का कूट लेखन करता है |
(iv) आनुवंशिक कूट कोमाविहीन होते है :- एक अमीनो अम्ल के कोडोन व उसके आगे वाले अमीनो अम्ल के कोडोन के बीच कोई विराम चिह्न नहीं होता है, कोड निरन्तरता उस समय तक बनी रहती है, जब तक कि कोडिंग सन्देश समाप्त नहीं हो जाता है |
Eg . UUU AUG GUC
(v) आनुवंशिक कूट असंदिग्ध एवं विशिष्ट होते है :- एक कोडोन केवल एक अमीनो अम्ल का कूटलेखन करता है |
(vi) आनुवंशिक कूट अनातिव्यापी एवं अनाध्यारोपित होते है :- एक ही अक्षर का दो कोडोन के लिए प्रयोग नहीं हो सकता है |
eg. एक क्षार का सतत् अनुक्रम UUUAUGGUC है, इसमें 3 कोडोन निरुपित होंगे | इस सतत् अनुक्रम में अध्यारोपित क्षारों द्वारा UUU UUA UAU कोडोन कभी नही बनेगें |
(vii) AUG कोडोन दोहरा कार्य करता है :- यह मिथिओनिन अमीनो अम्ल का कूटलेखन करता है एवं दूसरा कार्य प्रारम्भक कोडोन के रूप में कार्य करता है |

उत्परिवर्तन एवं आनुवंशिक कूट :-
सजीव कोशिका केन्द्रक में आनुवंशिक पदार्थों का वितरण एवं प्रतिकृति प्राकृतिक रूप से दोष रहित होती है |
आगामी पीढ़ियों में आनुवंशिक सूचनाओं का संचरण बिना किसी परिवर्तन के होता है परन्तु कभी-कभी आनुवंशिक पदार्थों के वितरण एवं प्रतिकृति दोनों ही अव्यवस्थित हो जाते है जिसके परिणामस्वरूप किसी भी जीव के वंशागत परिवर्तन अभिव्यक्त होते है |
सजीवों के किसी लक्षण विशेष में अचानक, अनियमित एवं असामान्य आनुवंशिक परिवर्तन जो कि स्थायी रूप से वंशागत होते है उन्हें उत्परिवर्तन कहते है |
एक DNA खंड में विलोपन या पुनर्योग्ज के प्रभाव के परिणामस्वरूप जीन के कार्य में कमी या वृद्धि होती है |
जीव में होने वाले उत्परिवर्तन में DNA का एक निश्चित खण्ड सम्मिलित होता है या हटता है जो केवल एक न्युक्लियोटाइड युग्म का बना होता है, उस जीन उत्परिवर्तन को बिन्दु उत्परिवर्तन कहते है |
eg. सिकिल सेल एनीमिया
बिन्दु उत्परिवर्तन दो प्रकार से हो सकता है -
(i) प्रतिस्थापन उत्परिवर्तन :-
यदि किसी जीन के न्यूक्लियोटाइड क्रम में एक न्यूक्लियोटाइड किसी अन्य न्यूक्लियोटाइड द्वारा प्रतिस्थापन हो जाता है तो इसे प्रतिस्थापन उत्परिवर्तन कहते है |
eg. सिकिल सेल एनीमिया
(ii) फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन :- कभी-कभी कुछ रासायनिक पदार्थों की उपस्थिति में जीन के न्यूक्लियोटाइड क्रम में किसी स्थान पर एक या अधिक न्यूक्लियोटाइडो का विलोपन या योग हो जाता है जिस स्थान पर यह परिवर्तन होता है उससे आगे के न्यूक्लियोटाइड क्रम के सभी कोडोन परिवर्तित हो जाते है इसे फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन कहते है |
बिन्दु उत्परिवर्तन के कारण संरचनात्मक जीन के एक क्षार के प्रवेश या विलोपन को साधारण उदहारण के द्वारा समझा जा सकता है -
RAM HAS RED CAP
यदि HAS व RED के बीच में अक्षर B को डाला जाए और इसे पुनर्योजित किया जाए तो निम्न प्रकार से पढ़ा जायेगा -
RAM HAS BRE DCA P
ठीक इसी तरह से B व R के बीच I अक्षर डाला जाए और कथन को पुनर्योजित किया जाए तो इसे निम्न प्रकार से पढ़ा जायेगा -
RAM HAS BIR EDC AP
ठीक इसी तरह I व R के बीच में G अक्षर डाला जाए और कथन को पुनर्योजित किया जाए तो इसे निम्न प्रकार से पढ़ा जायेगा -

RAM HAS BIG RED CAP
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