Biotic Factors - II (जैविक कारक)

जैविक कारक
धनात्मक अन्योन्य क्रियाएँ 
2. सहभोजिता (Commensalism) :-
विभिन्न जातियों के इस सहचर्य में केवल एक को लाभ तथा दूसरे को न तो लाभ और न ही हानि होती हैं। ऐसे सहचर्य में दो या अधिक आबादियाँ एक साथ रहती हैं लेकिन उनमे किसी भी प्रकार का कार्यिकी विनिमय नहीं होता है।
उदहारण :- कठलताएँ (lianas)
उष्ण कटिबंधीय सघन वनों में भूमि सतह के निकट प्रकाश तीव्रता अत्यन्त कम हो जाती है। इस वन में उगने वाली कठलताएँ जैसे - बॉहिनिया (Bauhinia), फाइकस (ficus) व टीनोस्पोरा (Tinospora) की जातियाँ उपयुक्त प्रकाश तीव्रता प्राप्त करने के लिए वृक्षों के मोटे तने पर सर्पिल लिपट करया कंटको या प्रतान की सहायता से ऊपर पहुँच जाती हैं। इन्हे स्वयं को खड़ी स्थिति में रखने के लिए बलकृत उत्तकों की अधिक आवश्यकता नहीं होती हैं। यह अन्य वृक्ष के तनों को अवलम्ब या आधार के रूप में कार्य करती है एवं आधार देने वाले वृक्षों कोकठलता की इस क्रिया से कोई भी लाभ या हानि नहीं होती हैं।
(a) अधिपादप व अधिजन्तु (Epiphytes and Epizoans) :- उष्ण व उपोष्ण नम वनों में बड़े वृक्षों के तने व शाखाओं पर लटके छोटे पादप अधिपादप कहलाते हैं। यह अन्य पादपों का उपयोग आश्रयआधार या अवलम्ब के रूप में करते हैं। यह भूमि में मूल द्वारा स्थिर नहीं होते है। ब्रोमेलिया (Bromelia), ऑर्किड(orchids) व लटकती मॉसेस (mosses) अधिपादप के उदहारण हैं।
(b) कुछ पादपजंतु शरीर की बाहरी सतह पर स्थिर होते हैं। स्लॉथ जंतु के खाँचेदार रोमों में हरे शैवाल पाए जाते हैं।  ताजे जल के कछुए की पीठ पर कवच की बाह्य सतह पर शैवाल बेसिक्लेडिया (Basicladia) पाया जाता हैं।

(c) उच्च विकसित जंतुओं व पादपों के शरीर में ऊत्तकों व गुहाओं में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवकवक व प्रोटोज़ोआ पाए जाते हैं। कुछ अपृष्ठवंशी स्थिर सहभोजी  रूप में पादप या जंतु से चिपके रहते हैं।स्थिर सहभोजी बार्नेकल व्हेल की पीठ पर चिपका रहता हैं।

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