6. अनुलेखन (Transcription)

अनुलेखन :-
DNA की एक रज्जुक से आनुवंशिक सूचनाओं को RNA में प्रतिलिपिकरण करने के प्रक्रिया को अनुलेखन कहते है |
अनुलेखन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत DNA से आनुवंशिक सूचनाएं m-RNA में स्थानान्तरित होती है | इस प्रक्रिया को सम्पन्न करने के लिए एक विशेष एंजाइम RNA पोलीमेरेज की उपस्थिति आवश्यक है |
अनुलेखन में सबसे पहले DNA के दोनों रज्जुक अकुंडलित होकर खुल जाते है और फिर इनमे से एक रज्जुक टेम्पलेट के रूप में कार्य करता है | इस रज्जुक पर m-RNA के समान ही न्यूक्लियोटाइडो का क्रम पाया जाता है |

अनुलेखन इकाई :-
DNA में अनुलेखन इकाई के तीन भाग होते है -
(i) उन्नायक (Promotor)
(ii) संरचनात्मक जीन (Structural gene)
(iii) समापक (Terminator)
(i) संरचनात्मक जीन (Structural gene) :-
अनुलेखन इकाई में संरचनात्मक gene DNA के द्विराज्जुक का ही भाग है | DNA रज्जुक विपरीत ध्रुवता की ओर होते है | इसलिए DNA निर्भर RNA पोलीमेरेज बहुलीकरण केवल एक दिशा 5' से 3' की ओर उत्प्रेरित करता है |
रज्जुक जिसमें ध्रुवता 3' से 5' की और है, वह टेम्पलेट  के रूप में कार्य करता  है | इसलिए इसे
टेम्पलेट रज्जुक कहते है | दूसरी रज्जुक जिसमें ध्रुवता 5' से 3' एवं अनुक्रम RNA जैसा हो उसे कूट लेखन रज्जुक कहते है | अनुलेखन इकाई के भाग कूट लेखन रज्जुक के बने होते है |
Eg. - 3' ATCGATCGATCGATCGATCGATCGATCGATCGATCG 5'                टेम्पलेट रज्जुक
             5' TAGCTAGCTAGCTAGCTAGCTAGCTAGCTAGCTAGC 3'       कूट लेखन रज्जुक
(ii) उन्नायक (Promotor) :-
उन्नायक gene एक DNA अनुक्रम है जिसमें RNA पोलीमेरेज एंजाइम जुड़ता है | अनुलेखन इकाई में स्थित उन्नायक, कूटलेखन एवं टेम्पलेट रज्जुक का निर्धारण करता है |

(iii) समापक (Terminator) :-
समापक कूटलेखन रज्जुक के 3' किनारे पर स्थित होता है | यह अनुलेखन प्रक्रिया की समाप्ति का निर्धारण करता है |
अनुलेखन इकाई एवं जीन :-
जीन वंशागति की इकाई है जो DNA पर स्थित होते है | समपार (cistron) DNA का वह खण्ड है जो पोलीपेप्टाइड का कूटलेखन करता है | अनुलेखन इकाई में संरचनात्मक जीन मोनोसिस्ट्रोनिक (Eukariyote) एवं पोलीसिस्ट्रोनिक (prokaryote) हो सकता है |
प्रोटीन के संश्लेषण को कोडित करने वाले कार्यात्मक जीन के क्रम को एक्सॉन कहते है | यह परिपक्व या संसाधित RNA में मिलते है |
DNA के नॉन-कोडिंग क्षार क्रम या जीन को इन्ट्रोन कहते है | यह परिपक्व या संसाधित RNA में नहीं मिलते है |


अनुलेखन की प्रक्रिया (In Prokaryote) :-
जीवाणुओं में एक ही प्रकार का RNA पोलीमेरेज पाया जाता है जो विभिन्न RNA जैसे m-RNA, t-RNA एवं r-RNA के माध्यम से भाग लेते है |
यह एंजाइम इस अनुलेखन के प्रारंभ होने वाले DNA से उन्नायक जीन को पहचानने में सहायता करता है |
एंजाइम RNA पोलीमेरेज जो DNA टेम्पलेट के अनुसार RNA के संवर्धन में भाग में लेता है |
RNA पोलीमेरेज एंजाइम को सिग्मा कारक (σ) सक्रिय बनाता है जिसके कारण DNA के उन्नायक स्थल की पहचान करके RNA पोलीमेरेज को इसके साथ में जोड़ता है एवं अनुलेखन को प्रारंभ करने में सक्रिय रूप से भाग लेता है |
RNA पोलीमेरेज एंजाइम उन्नायक से जुड़कर पूरकता के नियम के अनुसार अनुपालना करके टेम्पलेट से बहुलकित हो जाता है | यह कुंडली को आगे खुलने एवं उसके दीर्घीकरण में सहायता करता है |
पोलीमेरेज एंजाइम जैसे-जैसे टेम्पलेट रज्जुक पर आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे m-RNA की श्रंखला में वृद्धि होती जाती है |
जब RNA पोलीमेरेज समापक के किनारे पर पंहुच जाता है तो एक विशेष कारक रो (rho; ρ) की उपस्थिति में m-RNA का संश्लेषण समाप्त हो जाता है | इस प्रकार नवनिर्मित m-RNA एवं RNA पोलीमेरेज अलग हो जाते है और अनुलेखन का समापन हो जाता है |
DNA           उन्नायक स्थल का सिग्मा कारक (σ) से जुड़ना          सिग्मा कारक (σ) द्वारा आरंभक स्थल की पहचान           RNA पोलीमेरेज + सिग्मा कारक (σ)            श्रृंखला का संवर्धन प्रारंभ           RNA पोलीमेरेज से सिग्मा कारक (σ) का पृथक होना           m-RNA की लम्बाई में वृद्धि           m-RNA संश्लेषण का समापन

अनुलेखन (Eukaryote में) :-
यूकेरयोट के केन्द्रक में कम से कम तीन RNA पोलीमेरेज एंजाइम मिलते है |
RNA पोलीमेरेज प्रथम - यह r-RNA (28s,18s एवं 5.8s) को अनुलेखित करता है |
RNA पोलीमेरेज द्वितीय - यह m-RNA के पूर्ववर्ती रूप (hn-RNA - विषमांगी केन्द्रकीय RNA) को अनुलेखित करता है |
विषमांगी केन्द्रकीय RNA से m-RNA का निर्माण होता है इसलिए इसे m-RNA का पूर्ववर्ती कहते है |
RNA पोलीमेरेज तृतीय - यह t-RNA व अन्य छोटे केन्द्रकीय RNA (sn-RNA) का अनुलेखन करते है |
प्रारंभिक अनुलेखन में एक्सॉन व इंट्रोन दोनों मिलते है और दोनों असक्रिय होते है | ये एक प्रक्रिया से गुजरते है जिसे समबंधन (spllicing) कहते है, जिसमें इंट्रोन अलग हो जाता है एवं एक्सॉन एक निश्चित क्रम में आपस में जुड़ जाते है |
विषमांगी केन्द्रकीय RNA दो अतिरिक्त प्रक्रियों आच्छादन (Cap) एवं पूंछ (Tail) से होकर गुजरता है |
cap सिरे से एक असामान्य न्यूक्लियोटाइड मिथाइल ग्वानोसिन ट्राईफॉस्फेट (mGppp) के 5' किनारे पर जुड़ता है |
Tail सिरे से एडिनिन समूह (200-300 न्यूक्लियोटाइड) स्वतंत्र रूप से टेम्पलेट के 3' किनारे पर जुड़ जाता है |
पूर्ण संसाधित या परिपक्वन विषमांगी केन्द्रकीय RNA को अब m-RNA कहते है जो स्थानांतरण हेतु केन्द्रक में स्थानान्तरित हो जाता है | इस प्रकार संश्लेषित m-RNA का एक सिरा tail 3' एवं दूसरा सिरा 5' द्वारा निर्मित होती है | यह m-RNA के अस्तित्व के लिए आवश्यक है लेकिन अनुलेखन के लिए बिल्कुल नहीं |
NOTE :- जीवाणुओं में m-RNA के निर्माण में संसाधन की आवश्यकता नहीं होती है एवं अनुलेखन व सथानान्तरण की प्रक्रिया जीवाणु के कोशिकाद्रव्य ने होती है |
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